Web 3.0 क्या है? Web 3.0 कब आने वाला है? | What is Web 3.0 in Hindi?

आज इंटरनेट हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चूका है। आजकल ज्यादार काम इंटरनेट की सहायता से ही होता है और इसलिए इसकी आवश्यकता हमारे जीवन में दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में, इंटरनेट की दुनिया में बदलाव आना निश्चित सी बात है। इसलिए आने वाले समय में आप इसके ऐसे version को देखेंगे जिसकी शायद ही आपने कभी कल्पना की होगी। इंटरनेट के इस स्वरुप में किसी वेबसाइट पर किसी व्यक्ति या कंपनी का कंट्रोल नहीं होगा बल्कि उसका पूरा कंट्रोल आपके हाथो में होगा। यही है Web 3.0!

पिछले कुछ समय से Web 3.0 काफी सुर्खिया बटोर रहा है और इसलिए आज हर कोई इसके विषय में जानना चाहता है। लेकिन अभी भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

इसलिए इस लेख में हम Web 3.0 के बारे में गहराई से जानेंगे और इसको लेकर कई सवाल जैसे – Web 3.0 क्या है?, Web 3.0 कब आएगा, आदि को सरल भाषा में समझने का प्रयत्न करेंगे। तो चलिए देखते है की आखिर यह Web 3.0 क्या है !

लेकिन रुकिये, यह जानने से पहले की Web 3.0 क्या है हमे इसके पिछले दो सरक्षण को भी जान लेना आवश्यक है इसलिए आईये सबसे पहले जानते है की Web 1.0 क्या है! 

Web 1.0 Web 2.0 Web 3.0 in hindi

Web 1.0 क्या है?

Web इंटरनेट का सबसे पहला सरक्षण है। इसे एक static website से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत 1990 में Tim Berners-lee द्वारा की गयी थी। Static वेबसाइट होने की वजह से users सिर्फ वेबसाइट browse करके दी हुई जानकारी को सिर्फ पढ़ सकते थे और इसके अलावा उनको कुछ भी करने की अनुमति नहीं होती थी जैसे – Comment, Account बनाना, आदि। 

वेबसाइट में केवल text form में content होने की वजह से इसका interface बहुत boring होता था और Web की तरह हम इसमें एक-दूसरे से engage या connect नहीं हो पाते थे। इसी वजह से यह लोगो को उतना पसंद नहीं आया और यह लम्बे समय तक नहीं चल सका। 

Web 2.0 क्या है?

Web 1.0 के बाद जन्म हुआ Web 2.0 का जिसे Dynamic और interactive website से भी जाना जाता है।  इसमें आप वेबसाइट को browse करके जानकारी पढ़ने के साथ-साथ comment कर सकते है, account बना सकते है, files upload कर सकते है, gaming और लोगो से connect हो पाते है।  इसका अविष्कार वर्ष 2000 में डार्सी दिनुसी के द्वारा हुआ। 

आज जो हम इंटरनेट उसे कर रहे हैं वो Web 2.0 ही है। बढ़ी-बढ़ी कंपनियां जैसे – Google, Facebook, Linkedin, Amazon, आदि Web 2.0 पर ही आधारित है। 

आज आप social sites जैसे facebook, twitter, आदि पर अकाउंट बना पाते है, pictures upload कर पाते है, लोगो से जुड़ पाते है, उनकी फोटो पर comment कर पाते है। यह सारी चीज़े सिर्फ Web 2.0 की वजह से ही possible हो पायी है। 

Web 2.0 पर आप वेबसाइट browse करके उस पर लिखी जानकारी पढ़ने के साथ-साथ अकाउंट भी बना सकते है जिससे यह फायदा होगा की आप उस content को save करके बादमे उस विषय में कोई और जानकारी जाननी है तो वो आपको आसानी से मिल पाए। 

Web 2.0 में sites centralized होती है जिस पर किसी कंपनी या व्यक्ति का पूरा कंट्रोल होता है। इसका अर्थ है यह भी है की कंपनी जैसे – Google, facebook, amazon आपके डाटा को अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकती है।  ज्यादातर यह कम्पनियाँ आपके डाटा का इस्तेमाल sell करने के लिए करते है। 

कई बार आप ads देखते होंगे और सोचते होंगे की आपको इतनी सटीक ads कैसे दिख पाती है। दरअसल, यह सब आपके डाटा से ही possible हो पाता है। यह कंपनियां (google, amazon, etc) आपके डाटा को अपने database में store करती है और ads चलाने वाली कम्पनियाँ को बेचती है जिससे आपको सटीक ad दिख पाती है। हालाँकि, यह आपके डाटा को किसी गलत कंपनी को sell नहीं करते, परन्तु, इससे यह जरूर पता लगता है की इसमें आपका डाटा 100% secure नहीं होता है। 

Web 3.0 क्या है?

Web 3.0 इंटरनेट का तीसरा सरक्षण है जिसे “semantic web” से भी जाना जाता है। Web 3.0 एक decentralized web है जो की Artificial intelligence और blockchain technology पर आधारित है।  Decentralized web का मतलब है की इसमें वेबसाइट पर किसी भी व्यक्ति या कंपनी का कंट्रोल नहीं होता जैसा की Web 2.0 में होता है। इसमें यूजर को अपने डाटा और content पर पूरा कंट्रोल होता है। 

चूँकि Web 3.0 Blockchain technology पर आधारित होता है जिससे यूजर के डाटा को सुरक्षित रखना काफी आसान हो पता है। Blockchain में blocks की एक chain होती है, जो की एक hash code के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते है। इन blocks में डाटा या information को store किया जाता है। यह blockchain विश्वभर में कम्प्यूटर्स के एक विशाल network पर फैली होती है जिसके कारण इसको hack करना या इसमें छेड़खानी करनी नामुमकिन होता है। 

जहाँ Web 2.0 में google, facebook, amazon, आदि जैसे कम्पनियाँ का web पर पूरा कंट्रोल होता है और यूजर के डाटा को अपनी मर्ज़ी के हिसाब से इस्तेमाल कर सकती हैं वहीँ, Web 3.0 में web पर पूरा कंट्रोल users का होगा और user की अनुमति के बिना कोई भी उसके डाटा को इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। 

यही कारण है की बढ़ी-बढ़ी कम्पनियाँ और tesla कंपनी के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर इंसान Elon musk Web 3.0 का विरोध कर रहे हैं। क्यूंकि माना जा रहा की Web 3.0 आने के बाद google, fb, आदि को भारी नुक्सान देखना पढ़ सकता है। हालाँकि, अब google और facebook (Meta) ने Web 3.0 के लिए तैयारी शुरू कर दी है। 

यही जानने के बाद की Web 3.0 क्या है और कैसे यह Web 2.0 की खामियों को दूर करता है आईये जानते है Web 3.0 के कुछ फायदे।

Web 3.0 के फायदे

के बहुत से फायदे हैं जिसमे से कुछ में निचे दे रहा हूँ-

Data Privacy – Web  पूरी तरह decentralized होता है जिसके कारण हमारा डाटा किसी भी एक सर्वर पर न होकर विश्वभर में कम्प्यूटर नेटवर्क पर फैला होता है जिसकी वजह से इसको track या hack करना नामुमकिन होता है। 

हमारा डाटा पूरी तरह secure होने के साथ-साथ हमारा इस पर पूरा कंट्रोल होता है जिससे यह बढ़ी-बढ़ी कम्पनियाँ जैसे – google, twitter, facebook, आदि से बचा रहता है जो अपने benefit के लिए हमारे डाटा को इस्तेमाल करते हैं। 

Serverless Hosting – जैसे हमने बताया की Web में हमारा डाटा विश्वभर के कंप्यूटर नेटवर्क पर फैला होता है न की किसी एक सर्वर पर, जिसके लिए हमे किसी Hosting की आवश्यकता नहीं होती। Web में सर्वर कभी डाउन भी नहीं होगा। 

Ownership – यदि Web में आप अपने डाटा को किसी के साथ शेयर करते है या फिर बेचते है तो उसकी पूरी detail blockchain में store हो जाएगी जिससे उस डाटा की ownership को पता लगपना काफी आसान हो जायेगा और आपकी ownership को कोई खतरा भी नहीं होगा। 

Elimination – इसमें आपके अकाउंट या डाटा को कोई remove नहीं कर सकेगा। web पूरी तरह से centralized होता है परन्तु, web decentralized होता है अर्थार्थ इस पर किसी का भी कंट्रोल नहीं होता, इसलिए आपके डाटा को हटाने का किसी के पास कंट्रोल नहीं होता। 

Web 3.0 के नुकसान

  • Web 3.0 काफी advanced technology पर आधारित होगा जिससे इसे लोगो द्वारा समझ पाने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है। 
  • Web 3.0 का आना Web 1.0 आधारित Websites के लिए हानिकारक हो सकता है। चूँकि इसमें Advanced technology होगी ऐसे में, web 1.0 का इससे compete न कर पाने की वजह से stable रहना मुश्किल हो जायेगा। 
  • Web 3.0 एक decentralized web होगी और blockchain technology पर काम करेगा। जिस वजह से इसमें लोगो की details को देख पाना आसान होगा। हालाँकि, यह details एक code की form में ही होगी। 
  • यह addictive भी हो सकता है। 

Web 3.0 के उदहारण 

1. Siri –  Apple का voice recognition software “siri” Web 3.0 का एक बढ़िया उदहारण है। Apple का यह software web 3.0 पर ही आधारित है। Siri, user को तरह-तरह के प्रशन पूछने पर उन्हें सटीक जानकारी उपलब्ध करता ह। 

2. Wolfram Alpha – Wolfram Alpha भी web 3.0 के तहत काम करता है जो की एक computational intelligence platform है। इसका मकसद लोगो को अलग-अलग field जैसे – Science, math, आदि के विषय में सही जानकारी देना है।  Users को सटीक information देने के लिए यह दूसरे database से भी information gather करता है जिससे उपयोगकर्ताओं को सटीक और तेज़ी से जानकारी उपलब्ध हो पाती है। 

3. IDEX – IDEX ERC-20 tokens को trading के लिए एक renowned decentralized exchange है।  जो की Web 3.0 काम करता है चूँकि यह Ethereum पर ही आधारित है तो इस पर trading करने के लिए आपको Ethereum wallet की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ अगर आप IDEX का best experience लेना चाहते है तो आप Metamask wallet का भी इस्तेमाल कर सकते है। 

4. LBRY – एक Web 3.0 आधारित वेबसाइट है। इसमें अलग-अलग प्रकार के content जैसे – books, music और videos की लाइब्रेरी है। वेबसाइट पर content डालने डालने के लिए यह Blockchain technology का प्रयोग करती है और अपने integrated payment system से यह इसको monetize करती है। 

Web 3.0 कब आने वाला है?

Web 3.0 वर्ष 2010 में आ चूका है। Web 3.0 में आपको पहले की तरह Domain न खरीद कर TLD Domain खरीदना होगा। TLD Domain जैसे domain किसी रजिस्ट्रार के पास उपलब्ध नहीं होते हैं बल्कि ये ब्लॉकचैन में record रहते हैं।  TLD Domain के कई फायदे हैं जैसे आप इन domain को blog या website के लिए तो इस्तेमाल कर ही सकते है बल्कि इसके साथ-साथ आप इन्हे Social media के username के तोर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा भी इसके और फायदे है। 

अभी हम जानते है की web 3.0 आ चूका है परन्तु, इसमें काफी Advanced technology होने के कारण इसको पूरी तरह से establish होने में अभी थोड़ा और समय लग सकता है। 

Web 3.0 Cryptocurrency के नाम ( Web 3.0 Cryptocurrency list in hindi) 

1. Polkadot (DOT)

2. Bittorrent (BTT)

3. Internet Computer (ICP)

4. Theta 

5. Filecoin (FIL)

Web 3.0 FAQs

Web 3.0 और किस नाम से जाना जाता है?

Web 3.0 को decentralized web या semantic web से भी जाना जाता है। 

क्या गूगल Web 3.0 पर काम करता है?

अभी नहीं, गूगल अभी web 2.0 पर ही है, परन्तु, धीरे-धीरे यह अपने आप को web 3.0 के लिए तैयार कर रहा है। 

Web 3.0 पूरी तरह कब लागु होगा?

वैसे तो Web 3.0 आ चूका है और धीरे-धीरे इस्तेमाल किया जा रहा है परन्तु, इसमें technical difficulties होने के कारण इसको समझने और पूरी तरह implement होने में समय लग सकता है बल्कि इसमें कुछ वर्ष भी लग सकते है।

अभी हम कौन वेब सरक्षण इस्तेमाल कर रहे है?

फिलहाल अभी जो हम इंटरनेट का सरक्षण इस्तेमाल कर रहे है वो web 2.0 है जो की एक centralized web है। 

Web 3.0 से कैसे बदलाव आएगा?

Web 3.0 में हमारा डाटा बहुत secure हो जायेगा और इसका पूरा कण्ट्रोल सिर्फ और सिर्फ हमारे हाथ में रहेगा। 

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